चन्दा
गरीबों के हितेषी चन्दा इकट्ठा कर रहे थे. चन्दा माँगते-माँगते वे एक कवि के घर पहुँच गए. वे कवि से बोले- हम गरीबों के लिए चन्दा इकट्ठा करने के बाद उनमें बाँट देते हैं.
कवि गहरी सांस लेकर बोला- यह तो बड़ी अच्छी बात है. मैं आजकल बहुत गरीबी में दिन काट रहा हूँ. लाइए, क्या दे रहे हैं?
• कार्टूनिस्ट चन्दर